अब जबकि ये पोस्ट लिखे जाने तक उपचुनावों के नतीजे लगभग सामने आ चुके हैं ये साफ हो चुका है कि गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के प्रत्याशी को तकरीबन 22 हजार वोटों से हरा दिया है। अखिलेश ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को उनके ही ‘अभेद्य सियासी दुर्ग’ में शिकस्त दे दी है। । तथ्य ये भी है कि एक अन्य लोकसभा सीट फूलपुर के उपचुनाव में भी सपा ने बीजेपी को तकरीबन 60 हजार मतों से हरा दिया। बिहार की अरररिया लोकसभा सीट पर भी बीजेपी समर्थित उम्मीदवार विपक्ष में बैठी आरजेडी से हार गया है।
ये परिणाम सिर्फ तथ्य नहीं हैं बल्कि हैरतअंगेज तथ्य हैं। आमतौर पर ऐसा कम ही होता है कि सत्ता में बैठी पार्टी उपचुनावों में हार जाए। फिर योगी का किला ढहाने वाली ‘लहर’ इस दौर में ला पाना राजनीतिक अनुमानों से परे है। जब बीजेपी के शीर्ष पर बैठे नेता ये साबित कर रहें हों कि वो अपराजेय हैं उस दौर में एक नया ‘लड़का’ कमल से बेहतर ‘गुल’ खिला कर दिखा दे ये लोकतंत्र की महानता का संदेश है।
गोरखपुर पिछले तीन दशकों से योगियों के जिम्मे रहा है। गोरखपुर में सांसद का मतलब ही योगी हो गया था लेकिन अखिलेश यादव ने बेहद राजनीतिक समझ से वो कर दिखाया जिसे आने वाले योगियों को याद रखना ही होगा।