देहरादून- केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने भाजपा पर जम कर प्रहार किए हैं। पत्रकारिता से राजनीति मे दाखिल हुए मनोज रावत ने अपनी फेसबुक वॉल पर सधे हुए अंदाज में पीएम मोदी के केदार दौरे को लेकर भाजपा की अंदरूनी सियासत पर तंज कसा है।
इसके अलावा मनोज रावत ने कांग्रेस से भाजपा में गए सतपाल महाराज को भी चेताया है कि शायद पीएम मोदी के शिलान्यासों के शिलापट्टों को देखकर महाराज समझ गए होंगे कि कांग्रेस से भाजपा में जाने से उन पर कितना फर्क पड़ा है।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने जिन कामों का शिलान्यास केदारपुनर्निमाण के तहत किया है उनमें से ज्यादतर काम उन विभागों के तहत होने हैं जिनकी जिम्मेदारी सतपाल महाराज के कंधों पर है। बावजूद इसके पीएम के केदार दौरे में न तो सतपाल महाराज नजर आए न शिलान्यासों के शिलापट पर उनका नाम उकेरा हुआ दिखा। खैर केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है-
नाम तो भगवान का होता है
मनोज रावत ने लिखा केदारनाथ में भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने कुछ शिलान्यास किया।
इन शिलापटों पर , जिस बिभाग की योजना थी उसके विभागीय मंत्री के अलावा मेरा नाम भी नही था। जबकि परंपरा के अनुसार जिस विधानसभा में कोई बिभागीय कार्यक्रम होता है , उसकी अध्यक्षता स्थानीय विधायक करता है। नाम तो वे गढ़वाल के सांसद ओर भीष्म पितामह हो चुके जनरल खण्डूड़ी का कब का भूल गए हैं।
केदारनाथ के प्रधानमंत्री के 2 दौरों के अनुभवों से लगता है कि भा ज पा लोकतांत्रिक शिष्टाचार भूल चुकी है।
इस पर मेरा यही कहना है कि, “नाम तो भगवान का होता है “। वो किसी के लिखने से न तो अमर होता है न मिटाने से मिटता है।
फिर केदारनाथ की धरती का पाखंड अधिक दिन नही टिकता। हमारा तो छोड़िए वो ” सतपाल महाराज जी ” का तो लिख देते। । अधिकांश योजनाएं उनसे संबंधित विभागों की थी। पर यंहा भी “नए नाम बीर मंत्री”, धन सिंह जी ने बाजी मार ली, जिनके विभाग की किसी योजना का शिलान्यास नही हुआ पर सभी शिलापटों पर केवल उनका ही नाम था। ये जलालत झेलने के बाद, अब महाराज जी कांग्रेस और भा ज पा में सही अंतर को समझ सकते हैं।
खैर पिछले 2 दिन धर्म , संस्कृति और परंपरा की ठेकेदार कहने वाली पार्टी के नेताओं ओर मंत्रियों के साथ हंसते -खेलते अच्छे कटे।
वे मंत्री ओर नेता भी शिलापट को पड़ते हुए अंदर से फुंक रहे थे।