टिहरी- जब उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए आंदोलन हो रहा था तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि पहाड़ के लिए नासूर बन रहे पलायन की पीड़ा राज्य के वजूद में आने के बाद और भयानक हो जाएगी। पहाड़ के जिंदा गांव पलायन का दंश झेल-झेल कर डरावने मरघटों में बदल जाएंगे।
लेकिन मौजूदा वक्त में इस राज्य के पहाड़ी गांवों के लिए ऐसा मंजर हकीकत बन गया है। राज्य की पहली अंतरिम सरकार से लेकर अब तक की मौजूदा सरकार गैरसैंण का मतलब नहीं समझ पाई हैं और दो दिन पहले धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के गैर गांव में अकेले रहने वाले अतर सिंह की मौत भी सरकार को इसका मतलब नहीं समझा पाएगी।
अपने उलझे भूगोल के बोझ उठाते हुए राज्य के पहाड़ी गांवों की पिछले सत्रह सालों में सांसे उखड़ रही है। जबकि सरकार की नीतियां असलियत में गांव की बदरंग होती तस्वीर नहीं संवार पा रही हैं। पहाड अपने दर्द के साथ मैदानों की घनी बस्तियों में लगातार छिप रहा है।
पहाड़ की तकदीर से सरकारी नीतियों ने पास-पड़ोसी, नाते-रिश्तेदार सभी छीन लिए हैं।अालम ये है कि, जिस अतर सिंह के प्राण तीन अक्टूबर को चले गए थे उसके मुर्दा जिस्म को शमशान घाट पहुंचाने के लिए चार कंधे भी नगुण पट्टी के गैर गांव में मौजूद नहीं हैं। अतर सिंह का गांव उसकी मौत पर मरघट बन गया है। बताया जा रहा है कि गांव की उस बस्ती में अतर सिंह अकेला था।
जी हां यकीन मानिए ये डरावना सच है मृतक अतर सिंह के गांव का। जहां से पिछले सत्रह सालों में सारी आबादी धीरे-धीरे गांव से निकलती गई और ताजा हालात ये हैं कि 65 साल के अतर सिंह का मुर्दा जिस्म सड़ने की कगार पर पहुंच रहा है। पलायन से तबाह हुए गांव के अतर सिंह का दु्र्भाग्य देखिए जिस पत्नी ने अंतिम वक्त पति के पास रहना था और जिस बेटे ने चिता को आग देनी थी दोनो देहरादून की जेल में अपने किए की सजा भुगत रहे हैं।
दरअसल अतर की बीवी इंद्रा देवी और उसका बेटा सते सिंह कत्ल की सजा भुगत रहे हैं। अपनी पत्नी को जान से मारने के गुनाह में बेटे सते सिंह और उसकी मां इंद्रा देवी को साल 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। दोनों देहरादून की सुद्धोवाला जेल में बंद हैं, सूने गैर नगुण गांव में अतर सिंह का मुर्दा जिस्म गांव मे सड़ने को तैयार अंतिम संस्कार की राह तक रहा है।
हालांकि जिलाधिकारी के यहां से मामले की गंभीरता को देखते हुए सते सिंह और उसकी मां इंद्रा देवी के लिए पैरोल पर रिहा होने के आदेश हो गए हैं लेंकिन उनके गुनाह को देखते हुए अभी कमिश्नर के यहां से आदेश होना बाकी है। जिसके चलते अतर सिंह का मुर्दा देह के अंतिम संस्कार में देरी हो रही है। बताया जा रहा है कि लाश की बदबू से आस-पास के ग्रामीण इलाकों में बचे खुचे लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
ऐसें में अतर सिंह के मुर्दा सड़ते जिस्म से परेशान गांव से सटी बस्ती के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द इस समस्या का हल न निकाला गया तो अतर सिंह की लाश सड़क पर रख कर चक्का जाम किया जाएगा।