हल्द्वानी। दमा के रोगियों से बेहतर दमा के बारे में कोई नहीं जान सकता क्योंकि दमा से सबका दम निकल जाता है। लेकिन अब दम बेल दमा का दम तोड़ देगी। क्योंकि वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने दमा के इलाज के लिए दम बेल नाम की एक दवाई खोज निकाली है। अनुसंधान केंद्र का दावा है कि यह अन्य की तुलना में सस्ती और कारगर साबित होगी। सूबे में दमा के रोगियों की संख्या लाखों में है। सर्दी के मौसम इन श्वास के रोगियों की संख्या में इजाफा होने लगाता है। दरअसल सर्दियों में तापमान कम होने से रक्तचाप बढ़ता है और सांस फूलने लगती है चढऩे उतरने से भी ऐसी दिक्कतें होती हैं। इसके लिए मरीज निजी अस्पताल में महंगी दवाएं लेते हैं लेकिन इन रोगों से छुटकारा नहीं मिल पाता है। अब इससे छुटकारा दम बेल छुटकारा दिलाएगी। दम बेल एसक्लीपिएडेसी कुल की बेल है। इसको अंत मूल, लताक्षीरी, दम बूटी, अर्कपर्णी व इमेटिक, स्वालो वर्ट के नाम से भी जाना जाता है। दम बेल का वनस्पति नाम टाइलोफोरा इंडिका है। यह बेल सामान्य तौर पर पूर्वी उत्तरी राज्यों में होती है।
ऐसे करें दम बेल का सेवन
1. दम बेल की दो-तीन पत्तियां नियमित रूप से चबा-चबा कर खाने से दमा रोग में फायदा मिलता है।
2. पत्तों व जड़ों का काढ़ा बनाकर पीने से भी सांस रोग में फायदा मिलता है।
3. जड़ को सूखाकर चूर्ण बना लें और शहद के साथ मिलाकर खाएं इससे खांसी जड़ से समाप्त हो जाती है।