देहरादून- कार्बेट नेशनल पार्क के सिकड़ते दायरे में बाघों की जान पर बन आई है। बाघों की बढ़ती तादाद पर इतरा कर खुशी मनाने वाला उत्तराखंड, अब आपसी संघर्ष में मरते बाघों का मातम मना रहा है।
पिछले एक साल के आंकड़े पर निगाह डाली जाए तो जिम कार्बेट नेशनल पार्क की तस्वीर बाघों की लिहाज से डरा रही है। जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क एक साल में एक दर्जन से अधिक बाघों की मौत का मातम मना चुका है। साल 2017 की शुरूआत ही बाघ की मौत से हुई। पार्क में 01 जनवरी को रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी रेंज में आपसी संघर्ष में बाघिन की मौत
19 जनवरी में रामनगर वन प्रभाग के देचौरी रेंज में आपसी में बाघ की मौत
16 फरवरी तराई पश्चिम वन प्रभाग के बैलपड़ाव रेंज में बाघ की आपसी संघर्ष में मौत
22 फरवरी बैलपड़ाव रेंज में आपसी संघर्ष बाघिन की की मौत
16 मार्च को तराई पश्चिम वन प्रभाग के बैलपड़ाव रेंज में आपसी संघर्ष में बाघ की मौत
31 मार्च कॉर्बेट नेशनल पार्क के सर्पदुली रेंज में आपसी संघर्ष में बाघिन की मौत
14 अप्रैल रामनगर वन प्रभाग के देचौरी रेंज में बाघ की आपसी संघर्ष में मौत
01 मई रामनगर वन प्रभाग बैलपड़ाव रेंज में आपसी संघर्ष में बाघिन की मौत
02 मई कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बिजरानी रेंज में आपसी संघर्ष में बाघ की मौत
23 मई कॉर्बेट के कालागढ़ रेंज में आपसी संघर्ष में बाघिन की मौत
17 जून कॉर्बेट रिजर्व के सर्पदुली रेंज में आपसी संघर्ष बाघिन की मौत
29 अगस्त को कॉर्बेट के ढेला रेंज में आपसी बाघिन की मौत
18 नवंबर कॉर्बेट के ढेला रेंज में आपसी बाघिन की मौत
30 नवंबर को कॉर्बेट के बिजरानी रेंज में आपसी संघर्ष में बाघिन की मौत
पार्क प्रशासन की माने तो बाघों की बढ़ती तादाद और जंगल का घटता दायरा बाघों के आपसी संघर्ष का जिम्मेदार है। ऐसे मे बाघों को बचाने के लिए बड़ी पहल करनी होगी। मसलन कुछ बाघों को दूसरे रिजर्व पार्कों में शिफ्ट करना होगा। ताकि बाघ जिंदा रहे । हालांकि बताया जा रहा है कि कॉर्बेट पार्क से कुछ बाघ निकाल कर राजा जी नेशनल पार्क भेजे जाने का मूड़ जंगलात महकमा बना रहा है