देहरादून- उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब प्रचंड बहुमत वाली सरकार किसानो के साथ नहीं निजी संस्था के साथ दिखाई देगी।
भाजपा की मौजूदा टीएसआर सरकार ने नजीर पेश करते हुए ऐसा कदम उठाया जिससे सूबे के किसान अपने आपको बाबा के संस्थान का बंधक समझने को मजबूर हो जाएंगे।
ऐसे में आम किसान के समझ मे नही आ रहा है कि सहयोग किसका हो रहा है किसान का, सरकार का या फिर बाबा से व्यापारी बन चुके बाबा रामदेव का।
दरअसल पतंजलि और उत्तराखंड सरकार के बीच सहयोग स्कीम के तहत सहमति बन गई है। कि राज्य में लोकलुभावन नीतियों के तहत सूबे के किसान जिस जड़ी बूटी को अपने खेत में मेहनत के पसीने से सींचेंगे उसके दाम सरकार नहीं बल्कि बाबा रामदेव का पंतजलि तय करेगा।
गौर करने वाली बात ये है कि किसान जिस भी फसल का उत्पादन करता है लोकतंत्र की कल्याणकारी सरकार उसका एक समर्थन मूल्य तय करती है। समर्थन मूल्य तय हो जाने के बाद किसान को अपनी मेहनत की कम से कम कीमत पता चल जाती है। खुले बाजार में किसान को अपनी उपज की समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत मिलती है। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने नजीर पेश कर दी है। चावल,गन्ना गेहूं, मंडवा,रामदाना और दाल जैसी फसल का समर्थन मूल्य घोषित करने वाली सरकार जड़ी बूटी जैसे मंहगी उपज का समर्थन मूल्य घोषित करने से कतरा रही है।
हालांकि ये भी सच है कि अभी तक राज्य में सरकार ने किसी भी जड़ी-बूटी का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है। बहरहाल सरकार पतंजलि को राज्य में उत्पादित जड़ी-बूटियों की सूची देगी और पतंजलि इन बूटियों का न्यूनतम क्रय मूल्य तय करेगी। यानि सुनहरे भविष्य की उम्मीद में जड़ी-बूटियों में हाथ आजमाने वाले किसान को पतंजलि के रहमो-करमो पर रहना होगा।
इतना ही नही राज्य मे दूसरे अायुर्वेद संस्थानो को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। बाजार के जानकारों की माने तो पतंजलि किसानो की उपज पर कई खामिया निकाल कर उनसे जड़ी-बूटी कम कीमत पर खरीद सकता है जबकि एकाधिकार होने के चलते दूसरी आयुर्वेदिक कंपनियों को पतंजलि वहीं जड़ी महंगे दाम पर बेच सकता है। होगा क्या ये तो भविष्य बताएगा फिलहाल लोग सूबे की सरकार की ओर हैरत भरी नजरों से देख रहे हैं।
उधर बीते रोज सचिवालय में हुई सहयोग की समीक्षा बैठक के दौरान जिन बिंदुओं पर सहयोग के तहत सरकार और पतंजलि के बीच सहमति बन गई है उन पर एमओयू तैयार करने के आदेश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने दे दिए हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि सीएम रावत ने पतंजलि को इस दिशा में सहयोग के लिए बाबा रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण का अभार जताया है।