हरिद्वार (भगवानपुर)- प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। काबलियत खुद-ब-खुद चमकती है हीरे की तरह बस एक जौहरी चाहिए जो पहचान सके नगीने को। रियो ऑल्पिक में भारतीय टीम का हिस्सा रही उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया को देखकर यही महसूस होता है। वंदना स्कूली दिनों से ही हॉकी खेलती थी। हॉकी के बिना वंदना की कल्पना न तब की जाती थी न अब की जा रही है। मिट्टी के मैदान से एस्ट्रो टर्फ पर खेलने का सफर वंदना के लिए एक सपना था, लेकिन उसने उस सपने को अपनी मेहनत के दम पर पूरा किया।
आज जब भारतीय हॉकी टीम की चर्चा चलती है तो वंदना कटारिया को भारतीय टीम की एक बड़ी ताकत माना जाता है। कभी हरिद्वार के रोशनाबाद स्टेडियम मे मिट्टी के ग्राउंड पर प्रैक्टिस करने वाली वंदना रियो की एस्ट्रो टर्फ पर भारत की ओर से खेल चुकी है। आज वंदना ऑलम्पियन है। जिस पर भगवानपुर ही नहीं बल्की पूरे उत्तराखंड को नाज़ है। सूबे के भगवानपुर कस्बे में वंदना की दादी रहती हैं। अपनी दादी से मिलने के लिए आई वंदना का स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया। जहां अपने जज्बातों को शेयर करते हुए वंदना ने कहा देश की बेटियां किसी से कम नहीं है। यहां प्रतिभाएं बिखरी हुई हैं बस उन्हें तलाशने और तराशने की जरूरत है। मुकाम हासिल होता चला जाएगा। वंदना ने कहा विदेशों के खेल माहौल और यहां के खेल माहौल मे जमीन आसमान का फर्क है। यहां हर जगह खिलाड़ी को प्रैक्टिस की सहूलियत नहीं मिल सकती। कैंप में जो सुविधाएं मिलती हैं उनका जिला स्तर पर अकाल है । फिर भी प्रतिभाएं मेहनत कर रही हैं।
कल तक इंडिया टीम का हिस्सा बनने का सपना देखने वाली वंदना की माने तो अब उसकी जिंदगी का मकसद है विश्वकप जीतना और टोक्यो ऑलम्पिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना। मजबूत इरादों वाली वंदना का ये सपना सच हो इसका सब खेल प्रेमी शिद्दत से इंतजार कर रहे हैं।