हल्द्वानी (योगेश शर्मा) – दिल दहलाने वाले अल्मोड़ा के देघाट बस हादसे को अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं लेकिन इस सड़क हादसे ने कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल डा.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की पोल खोल कर रख दी।
सड़क हादसे में घायलों को जब इस अस्पताल पहुंचाया गया तो मिली जानकारियों ने पैरों तले जमीन खिसका दी। उस वक्त पता चला कि अब अस्पताल हाथी के उन दांतों में तब्दील हो गया जो सिर्फ दिखने के लिए हैं खाने के नहीं।
दरअसल अस्पताल में न तो कोई न्यूरो सर्जन तैनात था न मरीजो के लिए जरूरी तामझाम सलीके से काम कर रहे थे। उपकरण कोमा में चित थे जबकि अस्पताल प्रशासन खामोश।
डा.सुशीला तिवारी सरकारी चिकित्सालय की ताजा हकीकत ये है कि पिछले दो महीनों ने से अस्पताल में न तो सीटी स्कैन की मशीन काम कर रही है न अल्ट्रासाउंड मशीन यहां तक की फिजियोथिरेपी की मशीन को भी इलाज की दरकार है। इतना ही नहीं अस्पताल के पूछताछ केंद्र में कोई भी मुलाजिम नहीं रहता जिसके चलते यहां आन वाले लाचार मरीजों की खूब जमकर फजीहत होती है।
जानकारी के मुताबिक अस्पताल में लगी कई मशीनों की उम्र पूरी हो चुकी है। दस साल तक इस्तमाल की जाने सिटी स्कैन मशीन13 साल में खटारा हो चुकी है। बावजूद इसके अब तक मशीनें नहीं बदली गई हैं। लिहाजा यहां आने वाले गरीब-गुराब मरीजों को निजी अस्पतालों में अपनी हैसियत का इम्तिहान देने को मजबूर होना पड़ रहा है।
जबकि बताया जाता है कि इस अस्पताल में हर रोज तकरीन तीन हजार ओपीडी दर्ज होती है। हालांकि अस्पताल के अधिकारी जल्द ही व्यवस्था को पटरी पर लौटने की बात कह रहे हैं। उनकी मानी जाए तो जल्द ही अस्पताल की मशीने दुरूस्त हो जाएंगी। हालांकि होगा क्या ये तो वक्त ही बताएगा, फिलहाल मरीजों की कसौटी पर ये बड़ा सरकारी अस्पताल खरा नहीं उतरता।