अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की महत्वपूर्ण बैठक 10 सितंबर को प्रयाग के बाघंबरी मठ में होने जा रही है। बैठक में एक बार फिर से देशभर के फर्जी संतों के नाम घोषित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। फर्जी बाबा राम रहीम के चर्चित प्रकरण के सामने आने पर संतों की सर्वोच्च संस्था अखाड़ा परिषद इस बार कड़े निर्णय लेने के मूड में है।
गौरतलब है कि ऐसे प्रयास वर्ष 2010 से लगातार किए जा रहे हैं। किसी न किसी अखाड़े के विरोध के चलते इन प्रयासों को मुकाम नहीं मिल पाया। पिछले चार कुंभ मेलों में परिषद की बैठक हुई और एजेंडे में फर्जी बाबाओं का मुद्दा बार-बार लाया गया।
पहले भी जब आसाराम और रामपाल के प्रकरण सामने आए, तब अखाड़ों में खासा बवाल मचा था। हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक के कुंभ मेलों में ऐसा लगा कि इस बार अखाड़ा परिषद ही नहीं बल्कि संतों की धर्म संसद भी फर्जी भगवाधारियों पर प्रतिबंध लगा देगी।
संतों की छवि को विश्वभर में लगा है धक्का
यहां तक की कई शंकराचार्यों ने ऐसा करने का निर्देश अखाड़ों को दिया था। हितों के आड़े आने से ऐसा हो नहीं पाया। किसी न किसी नाम पर कोई न कोई अखाड़ा विरोध पर अड़ गया। हरिद्वार में भी तीन बार इसी संबंध में अलग से बैठकें की गई। एक बार तो अखाड़ों की ओर से विशाल संत सम्मलेन ही बुला लिया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
अब राम रहीम प्रकरण के बाद संतों की छवि को विश्वभर में धक्का लगा है। दुनिया के कई देशों से अखाड़ा परिषद और संतों के अन्य संगठनों से इस संबंध में लगातार पूछताछ की जा रही है। संत समाज को जवाब देना मुश्किल हो रहा है।
इसलिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की एक अति महत्वपूर्ण बैठक 10 सितंबर को प्रयाग में बुलाई गई है। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि संत जगत इस समय बहुत आहत है। वे स्वयं कड़ी कार्रवाई करना चाहते हैं, लेकिन अकेले नहीं कर सकते। परिणाम स्वरूप अखाड़ा परिषद की बैठक बुला ली गई है। इस बैठक में फर्जी संतों के बारे में कड़ा निर्णय हो सकता है। प्रयास किया जाएगा कि ऐसे फर्जी संतों की एक पूरी सूची ही जारी कर दी जाए।