देहरादून- लगता है राज्य में पटरी से उखड़ी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सूबे की टीएसआर सरकार ने मजबूत इरादों वाला अंगद का पांव जमा दिया है।
ये बात इसलिए कही जा रही है कि अब तक राज्य के जिस शिक्षा महकमे को तबादला उद्योग पुकारा जाता था वहां तबादला एक्ट समेत कई बदलाव लागू किए गए हैं।
वहीं राज्य के सीबीएसई पैटर्न वाले सभी निजी स्कूलों में किताबों वाली कमीशनखोरी पर शानदार नॉलेज वाली एनसीईआरटी की सस्ती किताबों का पहरा लगा दिया। टीएसआर सरकार के इस मजबूत इरादों वाले कदम की पूरे राज्य में तारीफ हो रही है। निजी स्कूलों में महंगी किताबों के बहाने अभिभावकों की जेब पर डाले जा रहे डाके पर जहां लगाम लगेगी वहीं कमीशनखोरी बंद होकर पढ़ाई चालू रहने की गुंजाइश बढ़ जाएगी।
वहीं हर विकास खंड में दो मॉडल स्कूल बना दिए गए हैं जहां प्राथमिक शिक्षा बिल्कुल निजी स्कूलों की तर्ज पर दी जा रही है। हर सब्जेक्ट के अलग-अलग टीचर हैं तो निजी स्कूलों जैसी चमक सर्व सुलभ है वो भी मुफ्त में। चाहे सूट-बूट, टाई हो या टीशर्ट, बुशर्ट और पैंट का मामला सब कुछ ऊंची बिल्डिंग वाले निजी स्कूलों की तर्ज पर पौष्टिक मध्यान भोजन के साथ मुहैय्या करवाया जा रहा है। ताकि हर आम-खास का रुझान सरकारी स्कूलों की ओर हो सके।
वहीं अब त्रिवेंद्र सरकार राज्य में दो अंतरराष्ट्रीय स्कूल खोलने की कवायद में जुट गई है। बीते रोज अल्मोड़ा में पत्रकार वार्ता के दौरान अपने इरादे जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि सरकार राज्य में जल्द ही दो इंटरनेशनल आवासीय स्कूल खोलने जा रही है।
दर्जा 6 से 12 वीं तक के इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास चलेंगी। डिजीटल माध्यम से पढ़ाई होगी और बच्चों को अखिल भारतीय स्तर वाली प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में सरकारी स्कूलों की साख फिर पुराने दौर की तरह शानदार हो जाएगी। होगा क्या ये तो वक्त ही बताएगा। हालाकि टीएसआर के तेवरों को देखकर महसूस हो रहा है कि उनकी सरकार अच्छे दिनों की कवायद में शिद्दत से जुटी है।