हल्द्वानी- 15 अगस्त को जहां देश आजादी की 72वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है, इन 72 वर्षो में कई सरकारें आई और गई, विकास के कई दावे भी किए गए…उन्ही में से एक दावा ये भी है कि उत्तराखंड के हर गांव में बिजली पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन इस दावे की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है.
विभाग नें यहां बिजली के खंभे तो लगाए है लेकिन सिर्फ दिखानें तक ही सीमित
जी हां उत्तराखण्ड के हल्द्वानी स्थित गौलापार का गंगापुर गंव, जहां आजादी के 71 साल बीत जाने के बाद भी बिजली नही पहुंच पाई है, यहां लोगों के पास वोटर कार्ड से लेकर राशन कार्ड तो है लेकिन नही है तो सिर्फ बिजली, ऐसा नही है कि यहां बिजली को लेकर सरकारी योजनाएं नही पहुंची है, विभाग नें यहां बिजली के खंभे तो लगाए है लेकिन वो सिर्फ दिखानें तक ही सीमित हैं, अब तक उन खम्बो में बिजली का कनेक्शन नहीं दिया गया है. दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति और सौभाग्य योजना से गांव -गांव को बिजली देने की बात तो केंद्र और राज्य सरकार जरूर करती है, लेकिन उनके ये दावे गंगापुर गांव में खोखले दिखाई दे रहे हैं।
कोई नेता नहीं करता बिजली की बात, खींच लेते हाथ पीछे
गांव मे रहने वाले लोगों का कहना है की वोट देने का अधिकार उनके पास है और नेता चुनाव के वक्त उनके वोट का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए तो करते हैं लेकिन बिजली की बात कोई नहीं करता है. सभी नेता वन विभाग की जमीन होने का हवाला देते हुए अपने हाथ पीछे खींच लेते हैं. सबसे अहम बात ये है की बिजली ना होने के चलते बच्चे मोमबत्ती के उजाले में पढ़ रहे हैं, तो कई बच्चों ने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी है और उनका भविष्य बनने से पहले की अंधकार में डूब गया है, पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार ने यहां बिजली के पोल तो लगाये लेकिन बिजली आज तक नही पहंच पाई, जो की निश्चित रूप से केंद्र और राज्य सरकार के लिए सोचने का एक बड़ा विषय है।
जनप्रतिनिधि के प्रयास भी तोड़ रहे दम
गंगापुर गांव में बिजली पहुंचाने के लिए क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधि पिछले लम्बे समय से प्रयास जरूर कर रहे हैं लेकिन उनके प्रयास तब दम तोड़ जाते हैं। जब मामला वन भूमि पर आकर अटक जाता है, क्योकि पूर्ववर्ती सरकारों ने वन भूमि की जमीन पर पट्टे देकर इनकों रहने के आदेश तो दे दिए लेकिन पट्टों को राजस्व भूमि में नहीं बदला जा सका, जिसके चलते गांव वालों को आज तक बिजली नहीं मिल पाई, विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव नेता इनके वोटों का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए जरूर करते हैं लेकिन इनके घर बिजली से कब रोशन होंगे ये बताने में चुप्पी साध लेते हैं. वहीं शासन और जिला प्रशासन भी इनकी बातों को ठीक तरह से नही सुनता, जिसके चलते इनकी आवाज उपर सरकारों तक नही पहॅंच पाती है।
वहीं जिला प्रशासन गंगापुर गांव में बिजली पहंचाने के लिए अपनी गम्भीरता दिखाने की कोशिश जरूर कर रहा है. जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन का कहना है की एनजीओ, जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के माध्यम से गांव में सोलर लाइट तो लगाई जा रही है लेकिन वन भूमि होने के चलते बिजली के कनेक्शन देने पर बात नहीं बन पा रही है, वहीं स्थानीय विधायक का कहना है कि वो विधायक बनने के बाद से उस गांव में आज तक गये ही नहीं है लेकिन अब उनके कानो तक बात पहुँची है तो वो जरूर जाएंगे और जल्द ही वहां बिजली पहुंचाई जाएगी।
गंगापुर गांव के लोग रोज अपने गांव में लगे बिजली के पोलों को बड़े ही ध्यान से देखकर यह जरूर सोचते होंगे की शायद कभी उनके घरों को भी बिजली रोशन करेगी, लेकिन वन भूमि की बाधाएं उनके जीवन मे उजाला लाने की बजाय रोड़े डालने में लगी है. प्रशासन और वन विभाग आपस में तालमेल बनाकर काम करें तो इनकी समस्या का हल निकल सकता है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हर गॉव बिजली देने का वादा तभी पूरा होगा जब गंगापुर जैसे गांव के लोगों को बिजली मिल सकेगी।