गंगोलीहाट:- राज्य के पहाड़ी जिलों में सहेत का सवाल गंभीर है जबकि तालीम को तमाशा बनाकर रख दिया गया है। सरकारी डॉक्टर हों या मास्टर सब की अपनी धौंस हैं। मोटी पगार के बावजूद भी दोनों विभागों में सुगम-दुर्गम झगड़े की जड़ बना हुआ है। पहाड़ी जिलों की आबादी को सरकारी पगार वालों ने दुर्गम और सुगम क्षेत्र में बांटकर रख दिया है। आलम ये है कि सुविधाविहीन पहाड़ी क्षेत्र में न तो डॉक्टर अपना फर्ज निभानें को तैयार हैं न मास्टर। सख्ती बरती जाती है तो डॉक्टर इस्तीफे की धमकी दे देते हैं तो मास्टर आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लेते हैं। हालांकि कुछ उस्तादों ने दुर्गम का तोड़ भी निकाल दिया है। जिसके तहत खुद तो सरकारी मुलाजिम सुगम हैं जबकि दुर्गम के तैनाती स्थल पर उन्होंने ठेके पर स्थानीय बेरोजगार को रख दिया है।
गंगोलीहाट में बीड़ीसी बैठक के दौरान एक ऐसा ही मामला उठा जिसमे सदस्य ने अपने इलाके के स्कूल मे तैनात एक महिला टीचर पर आरोप लगाया है कि शिक्षिका ने अपनी तैनाती स्थल पर क्षेत्र के ही एक बेरोजगार युवक को ठेके पर रखा हुआ है। हैरानी की बात तो ये है कि शिक्षिका ने अपने आप दो साल से अपने तैनाती वाले स्कूल में अपनी शक्ल नही दिखाई है। दो साल से नदारद रहने के बावजूद ठेके पर स्कूल चल रहा है और मास्टरनी साहिबा को पगार मिल रही है। हालांकि बीडीसी की बैठक में मामला उठने के बाद अब पिथौरागढ़ जिले के सीडीओ ने शिक्षा विभाग को तीन दिन के भीतर मामले की जांच कराने के निर्देश दिए। देखते हैं ठेका देने वाली मास्टरनी जांच की आंच से बच जाती है या फिर झुलस जाती है।