आज के समय में मोबाइल फोन एक जरुरत है और जरुरत में एक और जरुरत है वो है इंटरनेट क्योंकि बिना इंटरनेट के फोन एक लिहाज से बेकार ही है। दूरियां को कम करने का काम बेशक ये फोन और इंटरनेट करते होंगे पर रिशतों को बिखेरना का काम भी ये करा करते है। इंटरनेट और मोबाइल के ज्यादा एडिक्शन ने निजी रिश्तों को उलझा के रख दिया है। यहां तक कि इंटरनेट वैवाहिक जीवन में खलनायक की भूमिका निभाने लगा है। इसके अत्यधिक उपयोग से पारिवारिक कलह ही नहीं, बल्कि तलाक के मामले भी तेजी से बढ़ गए हैं। अब महिला हेल्पलाइन सेंटर (वन स्टॉप सेंटर) में ही ऐसे मामलों की संख्या सबसे अधिक हो गई है। इस तरह के मामलों ने स्टॉप सेंटर संचालकों को भी चौंका दिया है। आए दिन कोई न कोई शिकायत आ रही है।
कई मामले हाल ही में देखने को मिले
पहला मामला
रामपुर रोड का जहां युवक और युवती ने प्यार को बरकराक कर लव मैरिज की थी। एक-दूसरे को बेइंतहा मोहब्बत करते थे। दो साल बाद पति जब कार्यालय से घर आता था, तो कटा-कटा सा रहने लगा। मोबाइल लेकर कभी छत पर तो कभी सड़क किनारे जाने लगा। ज्यादातर वक्त वो इंटरनेट का ही इस्तमेाल करता रहता। एक दिन पत्नी ने कारण जानना चाहा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह लड़की से चैटिंग करता था। पहले इन्कार करते रहा, बाद में पत्नी को ही तलाक देने की धमकी देने लगा।
दूसरा मामला
काठगोदाम क्षेत्र का जहां एक लड़की की बड़े धूमधाम से शादी होती है और बहू बन ससुराल आ जाती है परंतु उसका फोन प्रेम खत्म नहीं होता और अपने ही पति के प्यार पर ही हावी होने लगता है, सुबह हो या शाम बस हर वक्त फोन का ही काम। जिससे ससुराली नाराज होने लगे और नौबत झगड़े तक पहुंच गई फिर लड़की मायके चली गई। बाद में काउंसलिंग के जरिये उसे फिर ससुराल भेजा गया है।
तीसरा मामला
कठघरिया क्षेत्र से जहां एक लड़की 17 वर्ष में ही विवाहिता हो गई और फिर तीन बच्चे की मां बनने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ। पर एक दिन उस फोन ने पूरा जीवन ही बर्बाद कर डाला, बता दें एक दिन उसपर अचानक किसी अज्ञात नंबर से फोन आया और दोनों की बातचीत शुरू हो गई। लंबी बातें करने लगे। नौबत यह हो गई कि तीन बच्चों की मां व पति के होने के बावजूद वह उस युवक के साथ भाग गई। काउंसलिंग भी हुई, लेकिन वह नहीं मानी। तो कई ना कई युवा पीढ़ी जरूरत से ज्यादा इंटरनेट एडिक्ट हो गई है।
मनोवैज्ञानिक का क्या कहना है?
मनोवैज्ञानिक डॉ. पंत ने बताया कि निश्चित तौर पर इसका दुष्प्रभाव आपसी रिश्तों में देखने को मिल रहा है। युवाओं को इसके नुकसान को भी समझना होगा। समझदारी से जरूरत के आधार पर ही इंटरनेट का प्रयोग होना चाहिए। डॉ. युवराज पंत, मनोवैज्ञानिक, एसटीएच00 में 40 मामले इंटरनेट के वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक सरोजनी जोशी बताती हैं, 6 अगस्त 07 से अगस्त 08 तक 00 मामले आए। इसमें 40 से अधिक मामले ऐसे ही थे, जिसमें इंटरनेट झगड़े की वजह था।
वहीं स्टॉप सेंटर की इंजार्च सरोजनी ने बताया कि इंटरनेट के बेवजह प्रयोग से वैवाहिक जीवन में दरार पैदा होने लगी है। इससे चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। परिवार बिखर जा रहा है। लोगों को इंटरनेट के इस्तेमाल से जागरूक होना होगा। जरूरत के आधार पर ही इंटरनेट व फोन का इस्तेमाल किया जाए