संवाददाता । चमोली- आपको ये जानकर हैरानी होगी कि चमोली जिले में 78 गांव खतरे की कगार पर खड़े हैं। डेंजर जोन में होने के बावजूद पिछले एक दशक से अब तक इन गांवों का विस्थापन नही हुआ है। जबकि तब से राज्य में दो दफे के विधानसभा चुनाव हो चुके है।
हालात ये हैं कि अधिकतर गांवों में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर दरार वाली जमीन और टूटे घरों में रहने को मजबूर हैं। कब भारी बारिश आ जाए और बड़ी अनहोनी घट जाए इसका अंदाजा बेबस ग्रामीणों को तो है लेकिन सक्षम सरकार को नही है।
प्रशासनिक स्तर पर चमोली जिले में खतरे वाले 79 गांव की सूची तैयार की गई है जिनका विस्थापन किया जाना है । ताज्जुब की बात ये है कि एक दशक में सरकार सिर्फ गैरसैंण विकासखंड के एकमात्र गांव फरकंडे का ही विस्थापन कर पाई है। बाकी 78 गांव अब भी डेंजर जोन में जीने को मजबूर हैं। गजब तो ये भी है कि एक दशक में 10 गांवों का ही सर्वे हो पाया है। बाकि 68 गांव तो अभी राम भरोंसे ही हैं।डरे सहमे संवेदनशील गांवों के लोग अब तक विस्थापन की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुकी है तब भी नतीजा सिफर ही रहा है।