धनोल्टी(थत्यूड़) – जौनपुर विकासखंड का मुख्यालय थत्यूड़ बाजार तीन नदियों से घिरा है। या यूं कहें कि अगलाड़, पालीगाड़ और बेलगरा नदी से बने टापू पर विकसित हुआ है। ये नदियां थत्यूड़ के लिए जीवन दायनी भी हैं लेकिन बरसात में रौद्र रूप धरकर थत्यूड़ को डरा भी देती हैं।
खासकर 2013 के आपदा वाले साल तो इन नदियों ने अपने पानी के वेग और उफान से न केवल आस-पास की खेती वाली जमीन को निगला बल्की बाजार पर भी कहर बनकर टूट पड़ी। उस वक्त कई दुकाने नदी की चपेट मे आने से बह गई थी। उसके बाद सरकार ने नदियों के किनारे आबाद हुए थत्यूड़ को नदियों से बचाने के लिए कमर कसनी शुरू कर दी।
जिसकी जिम्मेदारी सिंचाई महकमे को दी गई। महकमें ने थत्यूड़ की हिफाजत के लिए सुरक्षा दीवार बनाने का प्लान बनाया। लेकिन तीन नदियों से घिरे थत्यूड़ को बचाने के लिए जो सुरक्षा दीवार बनाई जानी है उस मे भारी-भरकम धनराशि खर्च होनी थी। स्थानीय लोगों की माने तो राज्य सरकार ने अपने बूते से बाहर के बजट को केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया। केंद्र ने उस पर गौर किया और सुरक्षा दीवार के प्रस्ताव पर अमल करते हुए उसे अपनी मंजूरी दी।
लेकिन गजब की बात देखिए बावजूद इसके अबतक थत्यूड़ को बचाने के लिए जरूरी सुरक्षा दीवार पर काम शुरू नहीं हुआ। 2013 में खेती की जमीन और बाजार की कुछ दुकानों को गवानें वाला थत्यूड़ बरसात में डरा-सहमा है। न जाने कब बादल नदियों पर मेहरबानी कर उनकी हिम्मत में इजाफा कर दें और गुरूर में आकर नदियां बाजार की ओर रुख कर दें। लिहाजा थत्यूड़ को बचाने के लिए सुरक्षा दीवार जरूरी है।
कहीं ऐसा न हो कि दीवार का इंतजार सब पर भारी पड़ी जाए। स्थानीय जनता पर भी जिला प्रशासन पर भी और सरकार के दामन पर भी। क्योंकि घाव पलक झपकते ही हो जाते हैं लेकिंन उन्हें भरने में अर्सा बीत जाता है बावजूद इसके निशान गवाही देते रहते हैं जिस्म पर हुए जख्मों की। उम्मीद है सरकार समझेगी थत्यूड़ की दिक्कत को।