देहरादून : ‘जब मैं राजनीति की भागमभाग से ऊब जाता हूं, थक जाता हूं, तो फिर पहाड़ों की शांत वादियों में ही सुकून मिलता है।’ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड के अलग राज्य बनने से कुछ वर्ष पहले देहरादून में एक कार्यक्रम में यह बात कही थी। पहाड़ में सुकून तलाशने वाले वाजपेयी ने ही अलग उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग को प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए नौ नवंबर 2000 को पूरा भी किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान से उत्तराखंड में शोक की लहर है।
उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में अटली जी की अहम भूमिका
अटल बिहारी वाजपेयी जी का उत्तराखंड से गहरा नाता रहा। लंबी लड़ाई और मांग के बाद अगर नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के मानचित्र पर अलग राज्य के रूप में वजूद में आया, तो इसमें सबसे अहम भूमिका उन्हीं की थी। उत्तराखंड में अलग राज्य निर्माण को लेकर लंबा आंदोलन चला।
देहरादून दौरे के दौरान अटल जी ने राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिया था
वर्ष 1996 में अपने देहरादून दौरे के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिया था। देहरादून में वर्ष 1999 में चुनाव के दौरान वाजपेयी ने अपनी बात दोहराई कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो उत्तराखंड को अवश्य अलग राज्य बनाया जाएगा। वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गठबंधन सरकार ने पहली बार उत्तरांचल राज्य निर्माण विधेयक राष्ट्रपति के माध्यम से उत्तर प्रदेश विधानसभा में भेजा। तब 26 संशोधन के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा ने उत्तरांचल विधेयक पारित कर केंद्र सरकार को वापस लौटा दिया।
इस तरह नौ नवंबर 2000 को देश के मानचित्र पर हुआ 27 वें राज्य के रूप में उत्तरांचल उदय
केंद्र सरकार ने 27 जुलाई 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक को एक अगस्त 2000 को लोकसभा ने पारित किया और फिर 10 अगस्त को राज्यसभा में भी यह विधेयक पारित हो जाने से अलग राज्य निर्माण का रास्ता साफ हो गया। 28 अगस्त को राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी और यह विधेयक, अधिनियम बन गया। इस तरह नौ नवंबर 2000 को देश के मानचित्र पर 27 वें राज्य के रूप में उत्तरांचल का उदय हुआ।
हालांकि बाद में, जब पहले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आई तो राज्य का नाम उत्तरांचल से बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया। अलग राज्य गठन के वक्त उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के 23 सदस्यों और सात विधान परिषद सदस्यों को उत्तरांचल की पहली व अंतरिम विधानसभा का सदस्य बनाया गया। हालांकि तब भाजपा अलग राज्य निर्माण के श्रेय पर अकेले काबिज होने के बावजूद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में विरासत में मिली सत्ता को सहेज नहीं पाई और कांग्रेस के हाथों पराजित हो गई। इसके बावजूद तब से ही उत्तराखंड राजनैतिक रूप से भाजपा के मजबूत गढ़ के रूप में उभर कर आया। इसकी चरम परिणति वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर जीत और फिर वर्ष 2017 में संपन्न विधानसभा चुनाव में तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के रूप में सामने आई।