केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 12वीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा की तारीख का ऐलान हो गया है। शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 25 अप्रैल को अर्थशास्त्र की दोबारा परीक्षा होगी। हालांकि, 10वीं के गणित की परीक्षा को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया।
15 दिन में पता चलेगा 10वीं की परीक्षा के बारे में
अनिल स्वरूप ने बताया कि अभी मामले की जांच चल रही है और अगले 15 दिनों में यह फैसला लिया जाएगा कि 10वीं के गणित की परीक्षा दोबारा कराने की जरूरत है या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर दोबारा परीक्षा करानी पड़ी तो सिर्फ दिल्ली, एनसीआर और हरियाणा में होगी और परीक्षा को जुलाई के महीने में कराया जाएगा।
स्वरूप ने कहा कि 10वीं की गणित की परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला दिल्ली और हरियाणा तक ही सीमित था, यही वजह है कि इन्हीं जगहों पर ही सिर्फ परीक्षा कराई जाएगी।एक तरह से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह स्वीकार कर लिया कि सीबीएसई के पेपर लीक हुए थे।सीबीएसई पेपर लीक से जुड़ी सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है।
दिल्ली पुलिस को फोन कर बताया पेपर हाथ लगा
खबरों के मुताबिक, 27 मार्च को ही दिल्ली पुलिस को यह बात पता चल गई थी कि सीबीएसई का पेपर लीक हुआ है। बताया जा रहा है कि 27 मार्च की रात को एक छात्र ने दिल्ली पुलिस को फोन कर यह बताया था कि उसके पास एक सीबीएसई का प्रश्न-पत्र हाथ लगा है जो कल परीक्षा में आने वाला है। छात्र का कहना है कि पुलिस में उसकी बात सुनी भी गई थी। छात्र के दावे के बाद 28 मार्च को सीबीएसई ने यह ऐलान किया था कि 10वीं के गणित और 12वीं के अर्थशास्त्र की परीक्षा दोबारा कराने का फैसला लिया गया है।
सीबीएसई पेपर लीक मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
वहीं सीबीएसई पेपर लीक मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। केरल में कोच्चि के रहने वाले एक छात्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। छात्र ने याचिका में यह मांग की है कि सीबीएसई के दोबारा परीक्षा कराने के फैसले को रद्द किया जाए।
सीबीएसई के चीफ को बर्खास्त करने की मांग
वहीं प्रकाश जावड़ेकर के सामने एनएसयूआई के छात्रों ने मांग रखी कि वह सीबीएसई के चीफ को बर्खास्त किया जाए क्योंकि पेपर लीक होने के लिए छात्र नहीं CBSE दोषी है. उन्होंने यह भी कहा कि एक रिटायर्ड न्यायाधीश से इस पूरे मामले की जांच कराई जाए.
वहीं छात्रों ने प्रकाश जावड़ेकर के सामने यह मांग भी रखी गई कि दोबारा परीक्षा कराते वक्त छात्रों को यह छूट दी जाए कि जो छात्र दोबारा परीक्षा में शामिल नहीं होना चाहते हैं उन्हें बाकी विषयों में पाए गए नंबर के आधार पर औसत नंबर देकर पास किया जा सकता है.
आपको बता दें, मैथ और इकोनॉमिक्स की दोबारा परीक्षा होने की वजह से करीब 34 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं.