देहरादून – उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी रहे सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की माने तो जब उत्तराखंड राज्य का ड्राफ्ट बन रहा था तो उस वक्त उनकी दिली ख्वाहिश थी कि सहारनपुर उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बने।
हालांकि तब सीएम रावत पॉवर में नहीं थे। लेकिन आज सीएम त्रिवेेंद्र रावत सत्ता में हैं और उत्तराखंड के मुखिया भी हैं तो सालों से दिल में दबी इच्छा सहारनपुर में जनसमुदाय के सामने व्यक्त हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सहारनपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड के साथ सहारनपुर का सामाजिक रिश्ता बताते हुए इसे उत्तराखंड में मिलाने की पैरवी की और राज्य निर्माण के वक्त अपने दिल में दबी हसरत का भी हवाला दिया। बताया जा रहा है कि सीएम रावत ने कहा कि तब भी मैं सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने का पक्षधर था और आज भी हूं।
सहारनपुर में बेहट रोड़ स्थित बालाजी धाम के दसवें वार्षिक उत्सव में शिरकत करते हुए सीएम त्रिवेंद्र रावत ने गुजरे वक्त का हवाला देते हुए कहा कि, उन्हें अच्छी तरह से याद है कि जब राज्य निर्माण हो रहा था, तब यहां के चेंबर ऑफ कॉमर्स ने उत्तराखंड में मिलने की काफी कोशिश की लेकिन तत्कालीन सरकार ने ऐसा नहीं किया और सरकार के निर्णय को सभी ने स्वीकार किया।
बहरहाल पहाड़ी जिले से ताल्लुक रखने वाले सीएम त्रिवेंद्र की सहारनपुर को सूबे में मिलाने की हसरत के कई माएने निकाले जाने शुरू हो गए हैं। सीएम रावत के सहारनपुर की पैरवी के बाद पिछले दिनो सूबे के कैबिनेट मंत्री की बिजनौर और सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने की वकालत को बल मिलने लगा है। वही सीएम के इस ख्वाहिश के जाहिर होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की उस बात में भी सच्चाई नजर आने लगी है जब किशोर ने कहा था कि सूबे की भाजपा सरकार की मंशा यूपी के कुछ हिस्सों को उत्तराखंड में मिलाने की है।
सीएम की सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने की पैरवी के बाद अब आलोचनाओं का दौर भी शुरू हो गया है कहने वाले कह रहे हैं जब उत्तराखंड का पहाड़ी स्वरूप जिंदा रहना ही नहीं है तो इससे बेहतर है कि इसे फिर से यूपी में मिला दिया जाए।