हरिद्वार- रविवार को जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत रुड़की नगर निगम पहुंचे। यहां से वह पैदल ही ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नरेंद्र सिंह भंडारी, मुख्य नगर आयुक्त अशोक कुमार पांडेय, सहायक नगर आयुक्त चंद्रकांत भट्ट समेत तमाम प्रशासनिक और निगम अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मलकपुर चुंगी की ओर से चले। उन्होंने रास्ते में पड़ने वाली दुकानों और फल आदि की रेहड़ियों पर पॉलीथिन चेक की। जहां भी पॉलीथिन मिली, डीएम ने उसे जब्त कर जुर्माना ठोक दिया। इस दौरान जिलाधिकारी को एक युवक बाइक पर जाता नजर आया। युवक ने बाइक के हैंडल पर खीरे से भरी हुई एक पॉलीथिन लटकाई थी। युवक के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थी। जिससे डीएम ने 4400 का जुर्माना लगाया औऱ अधिकारियों को आदेश दिया कि उनकी जेब से पैसे निकाले जाए.
यहां एक बार फिर मलकपुर चुंगी रोड पर अभियान चलाया। पॉलीथिन में खरबूजा बेचने वाले विक्रेता पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया। गिड़गिड़ाते रहे लेकिन उनकी एक ना सुनी. डीएम के साथ मौजूद अधिकारियों और पुलिस वालों ने उसकी जेब से जबरन पैसे निकाले.
सिर्फ गरीबों को ही निशान क्यों बनाते हैं अधिकारी
जिलाधिकारी औऱ उन सभी अधिकारियों से सवाल ये है कि क्या आप सिर्फ गरीब ठेली-रेड़ी वालों को ही जुर्माना लगाओगे. क्या आपने ये कभी नहीं सोचा कि जहां से ये पॉलीथिन बाजारों में आ रही है वहां जाकर सबसे पहले कार्रवाही की जाए ताकि बाजारों तक माल पहुंचे ही न. अगर पॉलीथीन बनाने वाली फेक्ट्रियों और गोदामों में लगाम कसी जाएगी तो इन तक पॉलीथीन पहुंचेगी ही नहीं. एक पॉलीथीन के लिए 4400 का रुपये का चालान कहां से सही है.
एक तरबूज विक्रेता सुबह से लेकर शाम तक अपनी ठेली लेकर घर से निकलता है और दिन भर धूप में ब्रिकी के लिए इधर-इधर घूमता है. तब जाकर ध्याड़ी कमाता है ऐसे में आपने एक बार भी नहीं सोचा उसके परिवार के बारे में. उसके बच्चे भी स्कूल जाते होंगे. कैसे उसके घर का खर्च चलता होगा. गरीब को निशाना बनाकर अपने कार्यों का डंका बजाना सही नहीं है.
हजारों नहीं लाखों का जुर्माना ठोकिए लेकिन…
आप हजारों नहीं लाखों का जुर्माना ठोकिए लेकिन गरीब पर नहीं उन अमीरों पर जो गोदाम और फेक्ट्रियों में पॉलीथिन भारी मात्रा में रखे हैं.