गैरसैंण- भराड़ीसैंण में हुआ बजट सत्र सबको याद रहेगा। सत्ता पक्ष को भी, विपक्ष को भी और राज्य की जनता को भी।
दरअसल नेता प्रतिपक्ष अनुभवी और संसदीय कार्यप्रणाली की ज्ञाता इन्दिरा हृदयेश की माने तो राज्य के इतिहास में आज तक विपक्ष के तर्कों और विचारों का सत्ता पक्ष ने कभी भी बांहे चढ़ा कर विरोध नहीं किया।
इंदिरा की माने तो अपने सियासी पारी में उन्होंने ऐसा विरोध कभी नहीं देखा, जब सत्ता पक्ष की ओर से तीन-तीन कैबिनेट मंत्रियों ने नेता प्रतिपक्ष का संसदीय परम्पराओंं का उल्लंघन करते हुए विरोध किया हो। ऐसे में इंदिरा ने सरकार को आरोपों के कटघरे में खड़ा करते हुए प्रेस कॉन्फेंस की और सत्ता पक्ष पर जबरन विपक्ष और जनता की आवाज दबाने का आरोप लगाया।
इंदिरा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को विपक्ष का सदन में किसानों की आवाज बनना नागवार गुजरा और किसानों की समस्याओं पर बोलना तीन-तीन कैबिनेट मंत्रियों को अखरा और उन्होंने उनका इस तरीके से विरोध किया जो संसदीय परंपराओं को शोभा नहीं देता।
इंदिरा ने हैरत जताते हुए कहा कि उन्होने पहले कभी ऐसा विरोध सदन में नहीं देखा। वहीं उन्होंने कहा कि विपक्ष ने लोकायुक्त को लेकर विधानसभा में सवाल लगाया था जिसे स्वीकार नहीं किया गया। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों के दौरान जनता से 100 दिन के भीतर मजबूत लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था। लेकिन अब सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति करने से बच रही है।