डोईवाला- बुल्लावाला चौक स्थित प्राइमरी स्कूल में वर्षों पुराना पिलखनक का पेड़ काटे जाने से सैकड़ों बगुलों की मौत हो गयी।
हाईकोर्ट ने पशुओं के लिए आदेश जारी किया कि इंसान पशुओं के सरंक्षक होंगे. लेकिन बेजुबान पक्षियों का क्या होगा. उनके सरंक्षक की जिम्मेदारी किसकी है. बड़ा सवाल ये है कि सैंकड़ों बगुलों की मौत का जिम्मेदार कौन होंगे?
मामला डोईवाला के बुल्लावाला गांव का है, जहां स्कूल प्रांगण में वर्षो पुराना पिलखन का पेड़ है, जिस पर हजारों बगुलों का आशियाना है, जिसकी वजह से आये दिन स्कूली छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था वो पेड़ काट दिया गया. साथ ही आये दिन पक्षियों की मौत भी होती रहती है, ओर पेड़ के नीचे बगुलों के अन्डों के गिरने व मरने से गंदगी फैली रहती है, जिससे बच्चों के बीमार होने का खतरा मंडराने लगा था और इससे माता-पिता भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे थे, जिससे तंग आकर ग्रामीणों ने पेड़ को तने तक काट दिया। और पेड़ पर निवास करने वाले 100 से अधिक बगुलों की मौत हो गयी।
दुनिया में पक्षियों की लगभग 9,900 प्रजातियां हैं
गौरतलब है कि दुनिया में पक्षियों की लगभग 9,900 प्रजातियां हैं। पर आगामी सौ वर्षों में पक्षियों की लगभग 1,100 प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। भारत में पक्षियों की करीब 1,250 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से करीब 85 प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं । पशु-पक्षी अपने प्राकृतिक आवास में ही सुरक्षित महसूस करते हैं। पर हाल के दशकों में विभिन्न कारणों से पक्षियों का प्राकृतिक आवास उजड़ता गया है।
बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की वजह से वृक्ष लगातार कम हो रहे हैं। बाग-बगीचे उजाड़कर या तो खेती की जा रही है या बहुमंजिले अपार्टमेंट बनाए जा रहे हैं। जलीय पक्षियों का प्राकृतिक आवास भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में किसी एक निश्चित जगह पर रहने के लिए पक्षियों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती जा रही है।