देहरादून- जी हां आपको सुनकर या पढ़कर यकीन नहीं होगा लेकिन अगर सबकुछ चुपचाप निपट गया तो त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाक के नीचे तकरीबन 12 हजार करोड़ रुपये का खेल हो जाएगा. जिसकी बंदरबाट ऊपर से नीचे तक सेट हो चुकी. औऱ सूत्रों की माने जाए तो अधिकारियों ने 100-100 करोड़ की मोटी रकम डकार ली है.
पूरा मामला देहरादून जिले में मौजूद लगभग 650 हजार बीगे जमीन का है. जिसमें आनन-फानन प्रस्ताव बनाकर अधिकारियों की एक टीम ने मजह 721 करोड़ रुपये में हॉक केपिटल नाम की एक कंपनी को देने की मंजूरी दे दी है.
गौरतलब हो कि हॉक केपिटल ने एक सिंगल बोली लगाई और राज्यों के अधिकारियों ने ऐतिहासिक चुस्ती-फुर्ती दिखाते हुए सारी जमीनों की डिटेल सुप्रीम कोर्ट को भी भेज दी..जबकि उसमें से बहुत से खसरे गॉल्डन फॉरेस्ट के है भी नहीं.
अधिकारियों की चुस्ती-फुर्ति के पीछे सौ-सौ करोड़ के मोटे बंडल बताए जा रहे है. क्योंकि अगर हकीकत में देहरादू शहर के किसी भी हिस्से की जमीन को औसतन 20 हजार गज से भी जोड़ा जाए तो भी इस जमीन की कीमत 12 हजार करोड़ से ऊपर की बैठती है. जबकि जमीनों की इस सूची में सैंकड़ों बीघा जमीन महंगी जगह सहस्त्रधारा और सैलाकुई जैसी जगहों पर है औऱ उन जगहों से के हिसाब से अग कीमत जोड़ी जाए तो कीमत 30 हजार करोड़ से ऊपर बैठती है.
मगर मोटा अनुमान 12 हजार करोड़ ही पकड़ा जाए तो भी महज 721 करोड़ रुपये में साढ़े छ हजार बीघा जमीन का बिक जाना सरकार औऱ निवेशकों को लगभग साढ़े ग्यारह हजार करोड़ का चूना लगा रहा है. मगर इतना सबकुछ जानते हुए भी जिस तरह अधिकारियों ने आनन-फानन में सूची सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध करा दी उस हिसाब से स1-स1 करोड़ के बंडल की अफवाहे सच ही नजर आ रही है. और अगर ऐसा हो गया तो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस टीएसआर को उल्ट न पड़ जाए.