देहरादून/दिल्ली। उत्तराखंड में तीन मई तक राष्ट्रपति शासन ही लगा रहेगा। राज्य में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई तीन मई तक टाल दी गई है। तब तक राज्य में राष्ट्रपति शासन ही लागू रहेगा। गौरतलब है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को गलत बताते हुए 29 अप्रैल को फ्लोर टेस्ट के लिए कहा था। इसके बाद केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में यथा स्थिती बनाए रखने के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को अटर्नी जनरल से कई सवाल पूछे –
1.क्या राज्यपाल ने आर्टिकल ने 175 (2) के तहत जिस तरीके से फ्लोर टेस्ट का मैसेज किया, इस तरीके से संदेश भेज सकता है?
2. विधायकों की सदस्यता रद्द करने का स्पीकर का फैसला क्या राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार बनता है?
3. क्या राष्ट्रपति विधानसभा की कार्यवाही का संज्ञान आर्टिकल 356 के तहत ले सकता है?
4. विनियोग विधेयक का क्या स्तर रहा, वो पास रहा या फेल हुआ, राष्ट्रपति का इस मामले में क्या रोल है?
5. फ्लोर टेस्ट में देरी होना क्या राष्ट्रपति शासन का आधार बनता है?
6. लोकतंत्र कुछ स्थायी मान्यताओं पर आधारित होता है, उसके अस्थिर होने का मानक क्या हैं? ये बताया जाए?